कानून के रखालों ने कानून बेंच डाला
कानून जिसे इंसानों की रक्षा के लिए बनाया गया है उसी कानून को बड़े बड़े अधिकारियों द्वारा नेताओं मंत्रियों सांसदों विधायकों और माफियाओं का गुलाम बनया जा रहा है
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 में पारित हुआ जिसे आम आदमी का अधिकार कहा जाता है ये कानून इस लिए बनाया गया ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सके
मगर आज स्थिति ऐसी हो गई है कि यूपी जैसे राज्यों में इसका कोई प्रभाव नहीं है आज भी यहां सूचना मिल पाती और अगर किसी ने संसद विधायक या किसी अधिकारी से संबंधित सूचना मांगने की कोशिश करता है तो उसे डराया जाता है उसको और उसके परिवार को झूठे केस में फंसाया जाता है इस सबके बावजूद आरटीआई कार्यकर्ता को सूचना नहीं दी जाती 1st अपील करो या सेकंड अपील करो कोई फायदा नहीं होता ये तो कहा जाता है कि हम लोकतंत्र में जी रहे हैं लेकिन हालात उसके उलट हैं ऐसा लगता है जैसे हम गुलामी में जी रहे हों सच को सच नहीं बोल सकते गुंडागर्दी अपने उरूज पर है और हमारे मंत्री से प्रधान मंत्री तक इन गुंडों को फॉलो करते हैं ये गुंडे बे लगाम हो गए हैं और पोलिस अधिकारी प्रधान मंत्री बन बैठे हैं आम आदमी पोलिस से सवाल नहीं कर सकता अगर पोलिस के पास जाना है या कोई शिकायत करनी है तो जेब में पैसा हो या साथ में दलाल हो तब ही पोलिस आपकी सुनेगी मैं यूपी के जनपद बांदा का रहने वाला हूं जनपद बांदा के थाना चिल्ला में पुलिस की लापरवाही और गुंडागर्दी थमने का नाम नहीं ले रही है यहां माफिया पुलिस को अपनी जेब में बंद रखते हैं यहां रेत माफिया का बोल बाला है 25 जनवरी 2018 को सादी पुर की बालू खदान चालू हुई खदान का रास्ता लौमर की सड़क से दिया गया जो की सरासर नाजायज है गांव वालों ने इसका विरोध किया अपनी सड़क बचाने के लिए गांव वालों को भारी कीमत चुकानी पड़ी चिल्ला थाने के प्रभारी श्री राकेश सरोज साहब ने गांव के 55 लोगों पर मुकदमा कायम कर दिया 7 नवजावनो पर डकैती का मुकद्दमा और 12 लोगों पर गुंडा एक्ट लगा दिया डकैती और गुंडा एक्ट मुकद्दमा उन लोगों पर लगाया गया जिनके खिलाफ पूरे देश में कहीं भी एक शिकायत या एफ आई आर तक नहीं है । अब आप सोचेंगे कि ऐसा क्यों हुआ पुलिस कि क्या दुश्मनी थी वो ऐसा क्यों करेगी तो उसका सीधा जवाब है कानून बिक रहा है और कानून के रखवाले उसे बेंच रहे हैं
यहां इंसाफ नहीं है अगर भ्रष्टाचार को रोकना है तो सबसे पहले पुलिस विभाग में बदलाव लाना होगा सिस्टम को बदलना होगा उदाहरण के तौर पर में आपको अपनी एक कहानी बताता हूं
मैंने चिल्ला पुलिस की शिकायत एसएसपी बांदा को किया एसएसपी साहब ने उसी अधिकारी को जांच करने के आदेश दिए जिसे मैंने आरोपी बनाया था अधिकारी ने एसएसपी को दी गई अपनी रिपोर्ट में ये लिखा कि शिकायत निराधार और गलत है मुझे यही उम्मीद थी चोर कभी नहीं बोलता की उसने चोरी कि है फिर मैंने डीएम बांदा और डीआईजी चित्रकूट आईजी आलाहाबद डीजीपी यूपी को पत्र लिखकर इस बात की शिकायत कि उन सभी ने भी एसएसपी को आदेश दिया कि इस प्रकरण की जांच की जा य और एसएसपी ने वापस उसी अधिकारी को जांच सौंप दी फिर वही रिपोर्ट कि ये शिकायत निराधार और गलत है फिर मैंने सीएम यूपी और पीएम भारत को पत्र लिखकर इंसाफ की मांग की उन्होंने भी वही किया जो अभी तक होता आया है पीएम ने सीएम को सीएम ने डीजीपी को डीजीपी ने डीआईजी को और डीआईजी ने एसएसपी को और एसएसपी ने वापस उसी अधिकारी को जांच सौंप दिया मजाक बना कर रख दिया है इन लोगों ने ऐसा लगता है कि कानून है ही नहीं
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