राज्य के अधिकांश अनुदानित महाविद्यालयों द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम की अहम धारा 4 (1)(ख) की अनदेखी : अध्ययन
महाविद्यालयीन कर्मचारियों के लिए आरटीआई प्रशिक्षण अनिवार्य किए जाने की सलाह
नागपुर। महाराष्ट्र में अधिकांश अनुदानित महाविद्यालयों द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम की अहम धारा 4 (1)(ख) का पालन नहीं किया जा रहा हैं, उक्त जानकारी जाने-माने सूचना अधिकार विशेषज्ञ एवं दादा रामचंद बाखरू सिंधू महाविद्यालय, नागपुर के रजिस्ट्रार नवीन महेशकुमार अग्रवाल द्वारा किए गए एक अध्ययन द्वारा सामने आई हैं।
सूचना अधिकार की धारा 4 (1)(ख) में लोकप्राधिकारी द्वारा 17 मुद्दों की जानकारी स्वयं होकर प्रकाशित कर उसे वेबसाइट पर अपलोड करना अनिवार्य किया गया हैं। नागरिकों को बिना मांगे ही अधिकतम जानकारी उपलब्ध करवाना इसका मुख्य उद्देश्य हैं। अनेक महाविद्यालयों को सरकार की ओर से बड़े पैमाने पर वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती हैं इसीलिए आरटीआई की धारा 2 (ज)(घ)(ii) के अनुसार सरकारी अनुदान प्राप्त ऐसे गैर सरकारी महाविद्यालय भी लोकप्राधिकारी की श्रेणी में आते हैं एवं 17 मुद्दों की जानकारी स्वयं होकर प्रकाशित कर वेबसाइट पर अपलोड करना इन महाविद्यालयों के लिए भी बंधनकारक हैं। परंतु इसका पालन न किए जाने की वजह से नागरिकों को ऐसी जानकारी मांगने के लिए भी अनावश्यक रूप से आवेदन करना पड़ता हैं।
नवीन अग्रवाल ने बताया कि महाराष्ट्र में उच्च शिक्षण संचालक के अंतर्गत कुल 1162 अनुदानित महाविद्यालय हैं, जिसमें से नागपुर, कोल्हापुर, औरंगाबाद, अमरावती, मुंबई, पुणे, जलगाँव, नांदेड़, पनवेल एवं सोलापुर इन 10 विभागों से प्रत्येक विभाग के 5-5 ऐसे 50 महाविद्यालयों को इस अध्ययन में शामिल किया गया। अध्ययन में शामिल महाविद्यालयों में से केवल 14% महाविद्यालयों ने स्वयं होकर जानकारी प्रकाशित की हैं। आरटीआई के प्रावधानों की अनदेखी कर जानकारी प्रकाशित न करनेवाले महाविद्यालयों की संख्या 86% हैं। विभागवार आंकड़ों पर गौर किया जाए तो मुंबई 60%, पुणे 40%, नागपुर एवं पनवेल विभाग के 20% महाविद्यालयों ने स्वयं होकर जानकारी प्रकाशित की हैं। शेष 6 विभागों के एक भी महाविद्यालय ने इसका पालन नहीं किया हैं।
अध्ययन से यह जानकारी भी सामने आई है कि जिन विभागों के महाविद्यालयों ने स्वयं होकर सूचना प्रकाशित नहीं की हैं उन विभागों के महाविद्यालयों के लोकसूचना अधिकारी एवं प्रथम अपीलीय अधिकारियों को आरटीआई का प्रशिक्षण प्रदान नही किया गया हैं, नियमों का पालन न होने की एक बड़ी वजह यहीं हैं। अध्ययन में शामिल महाविद्यालयों में से मात्र 10% महाविद्यालयों के कर्मचारियों ने आरटीआई का प्रशिक्षण प्राप्त किया हैं।
नवीन अग्रवाल ने केंद्र एवं राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, केंद्रीय एवं राज्य सूचना आयोग को पत्र लिखकर शासकीय कर्मचारियों की तरह अनुदानित महाविद्यालय के कर्मचारियों को आरटीआई के प्रशिक्षण की व्यवस्था उपलब्ध कराने एवं महाराष्ट्र सहित संपूर्ण भारत के अनुदानित महाविद्यालयीन कर्मचारियों के लिए आरटीआई का प्रशिक्षण अनिवार्य किए जाने की सलाह दी हैं। साथ ही महाविद्यालय द्वारा आरटीआई के प्रावधानों का पालन किया जा रहा है अथवा नहीं इसके निरीक्षण के लिए जानकार लोगों की एक कमेटी बनाए जाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया है।
नवीन अग्रवाल जो महाराष्ट्र शासन की सर्वोच्च प्रशासकीय प्रशिक्षण संस्था यशदा, पुणे के सूचना अधिकार केंद्र के अतिथी व्याख्याता एवं आईएसटीएम, डीओपीटी, भारत सरकार द्वारा प्रमाणित सूचना अधिकार प्रशिक्षक भी हैं, का मानना हैं कि उनके दिए सुझावों पर अमल किए जाने से सभी महाविद्यालय स्वयं होकर जानकारी प्रकाशित करेंगे जिससे नागरिकों को जानकारी प्राप्त करने हेतु आरटीआई आवेदन का कम से कम सहारा लेना पड़ेगा, जिसकी वजह से आरटीआई आवेदनों की संख्या में कमी आएगी एवं कामकाज में पारदर्शिता बढ़ेगी।
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